
पिछले कुछ दशकों में भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार सैन्य तनाव देखने को मिला है, लेकिन इस बार हालात पहले से कहीं ज़्यादा गंभीर और खतरनाक नज़र आ रहे हैं। दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच जारी यह नया संघर्ष अब मिसाइल हमलों तक पहुँच चुका है, जिससे पूरे दक्षिण एशिया में अस्थिरता का माहौल बन गया है।
शनिवार की सुबह पाकिस्तान ने “ऑपरेशन बुनीयान उल मर्सूस” नामक एक जवाबी कार्रवाई के तहत भारत के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इस ऑपरेशन के तहत पंजाब के पठानकोट एयरबेस और जम्मू-कश्मीर के उधमपुर स्थित एयर फोर्स स्टेशन को निशाना बनाया गया। बताया जा रहा है कि इन हमलों में कई रॉकेट और मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया, जिससे इन क्षेत्रों में जोरदार धमाकों की आवाज़ें सुनाई दीं और अफरातफरी मच गई।
इन हमलों से कुछ घंटे पहले भारत ने पाकिस्तान के तीन वायुसेना अड्डों पर एयरस्ट्राइक की थी, जिनमें से एक इस्लामाबाद के पास स्थित बताया गया है। भारत की इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने तत्परता से अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया और सेना को हाई अलर्ट पर रख दिया गया।
रावलपिंडी, जो पाकिस्तान की सेना का मुख्यालय है, वहां भी ज़ोरदार धमाकों की खबरें सामने आई हैं। स्थानीय लोग सोशल मीडिया पर लगातार वीडियो और तस्वीरें साझा कर रहे हैं, जिनमें तेज़ धमाकों की आवाज़ें और धुएँ के गुबार देखे जा सकते हैं। लोगों में भय और असुरक्षा की भावना साफ़ देखी जा रही है।
दोनों देशों की सरकारों ने अब तक आधिकारिक रूप से ज्यादा जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अगर हालात पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह संघर्ष एक बड़ी जंग का रूप ले सकता है। भारत और पाकिस्तान दोनों के पास परमाणु हथियार हैं, और इस तरह के तनावपूर्ण माहौल में एक छोटी सी चिंगारी भी बड़े विस्फोट का कारण बन सकती है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भी अब इस क्षेत्र पर टिक गई हैं। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस और चीन जैसे बड़े देश दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील कर चुके हैं। हालाँकि ज़मीनी हालात अभी बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं।
इस संघर्ष के बीच आम जनता सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रही है। बॉर्डर इलाकों में रहने वाले हजारों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालयों को बंद कर दिया गया है।
अभी यह कहना मुश्किल है कि यह संघर्ष किस दिशा में जाएगा, लेकिन यह साफ़ है कि दोनों देशों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से इस संकट का समाधान निकालना होगा। वरना आने वाले दिन दोनों देशों के लिए और अधिक दुखदायी साबित हो सकते हैं।
क्या यह संघर्ष युद्ध का रूप लेगा? या फिर बुद्धिमत्ता और संयम से कोई समाधान निकलेगा? इसका उत्तर समय ही देगा, लेकिन फिलहाल पूरे देश की धड़कनें तेज़ हो चुकी हैं।